मुखौटा (Poem)-Deepa Vinod

poem
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हनती हूँ शांति का मुखौटा

मगर दिल जो रोता है...

अदृश्य है एक तूफ़ान

इस सतह के नीचे...

तूफ़ान जारी है

एक अदृश्य लड़ाई भी

सिर्फ़ जानती हूँ मैं ही

ये दिल की हालत....

छिपाती हूँ अपनी आत्मा को

उस मुखौटे के पीछे,

दिखते है इस दुनिया केवल

जो मैं दिखाना चाहती....

मुखौटा है शांति का मगर

तूफान है उसके पीछे

जानती हूँ सिर्फ मैं ही

इस दिल के कैफ़ियत...

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Deepa Vinod

Kollam

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